हनुमान जी की शिक्षाओ का आधुनिक काल में महत्व

हनुमान जी की शिक्षाओ का आधुनिक काल में महत्व

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१६अप्रैल २०२० को हम हनुमान जी का जन्मोत्सव मना रहे हैं|  आप सबको हनुमान जन्मोत्सव की अग्रिम बधाई| जैसा की आप सभी जानते हैं की हनुमान चिरंजीवी हैं| कलियुग में हनुमान जी ही वो देवता माने जाते हैं जो की सर्व सुलभ हैं और भक्तो का ध्यान रखते हैं| उन्होंने अपने व्यक्तिगत आचरण से देश और दुनिया के सामने उत्कृष्ट उदाहरण रखा हैं जिस वजह से पूरे भारत में उनकी पूजा होती हैं | आइये इस कड़ी में हम उनकी कुछ शिक्षाओ के बारे में बात करते हैं जो देश और समाज को नयी दिशा दे सकते हैं|

धर्म और कर्म का ज्ञान

हनुमान जी अपने दैनिक जीवन में अपनी समस्त जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हुए भी भगवान के अनन्य भक्त रहे हैं| उन्होंने व्यक्तिगत लाभ के लिए कभी धर्म विरुद्ध काम नहीं किया| उन्होंने धर्म और कर्म में कोई भेद होने के भारतीय सिद्धांत को सिद्ध किया| अपितु ये कहें की उन्होंने कर्म को ही अपना धर्म समझा और पूरी ताकत और निष्ठां से उसे पूरा किया |
उन्होंने सामान्य विषयो के अतिरिक्त वेद और वेदांत की भी शिक्षा ली और उसका अपने जीवन में उपयोग किया |

अनुराग और वैराग्य में अंतर

हनुमान जी राजा सुग्रीव के मंत्री होते हुए, भी कभी पद या प्रतिष्ठा से अनुराग नहीं किया| जब बलि ने सुग्रीव को राज्य से बाहर निकाल दिया तो उन्होंने ने भी राज्य की समस्त सुख सुविधएं छोड़ कर सुग्रीव के साथ वन में ही निवास किया और एक तरह से अभाव की जिंदगी व्यतीत की| इन सब तकलीफों के बावजूद उनकी निष्ठा या कर्त्तव्य परायणता में कोई कमी नहीं आयीउन्होंने अनुराग पर वैराग्य को प्रमुखता दी |


एक विश्वसनीय मित्र और सेवक

कहावत है कि अच्छे और बुरे कि पहचान तकलीफ के समय होती है इस मामले में हनुमान जी ने दुनिया के सामने एक उत्कृठ उदाहरण रखा | उनके अनुसार निःस्वार्थ सेवा ही मुक्ति का मार्ग है |
जब सुग्रीव निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे थे तो उन्होंने उनका पूरा साथ दिया और भगवान राम से मित्रता करवा कर उनका राज्य उन्हें वापस करवाने का पूरा प्रबंध किया|
इसी तरह से जब भगवान राम सीता माता कि खोज में व्याकुल थे तो उन्होंने उन्हें सुग्रीव से मित्रता करवा कर सीता कि खोज करने का मार्ग प्रसस्त किया|
इस तरह से उन्होंने अपनी सारी जिम्मेदारियों का निःस्वार्थ सेवा भाव से निर्वहन किया |

अग्रिम पंक्ति के नायक

हनुमान जी अपनी टीम को पूरी तरह से उत्साहित रखते थे| टीम में अपने से बड़े नायको जैसे कि जामवंत आदि को भी पूरा सम्मान देते थे जिसकी वजह से सभी उनको प्यार करते थे और सहयोग करते थे |
हर कठिन काम को खुद करने में कभी पीछे नहीं रहे और कभी भी अपने सहयोगियों की बुराई मैनेजमेंट (सुग्रीव या राम) के सामने नहीं की न ही कभी उनका बुरा चाहा |   
उनकी इसी प्रतिभा को देख कर भगवान राम ने उन्हें अपनी अंगूठी सीता को पहचान के लिए दी और आगे चलकर संजीवनी बूटी लाने कि जिम्मेदारी भी दी|

आत्म विश्वास और मर्यादा का पालन

कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी उन्होंने सूझ बूझ से काम लिया | राछसों से घिर जाने पर भी या रावण की सभा में बांध कर ले जाने पर भी वो डरे या घबराये नहीं | आग से घिर जाने पर भी वो घबराये नहीं और अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए उसी आग से, आग लगाने वालो के घर को जला दिया |
वो चाहते तो सीता माँ को साथ में ला भी सकते थे, लेकिन उन्होंने भगवान राम की दी हुयी आज्ञा की मर्यादा का पालन किया और भगवान राम को सीता के सकुशल होने को सूचना दी |
राम और लक्ष्मण के नाग पाश में बंध जाने पर या लक्ष्मण के शक्तिबाण लगने पर भी हनुमान जी चिंतित होने की बजाय संभावित उपायों को करने में ही लगे रहे और सफल हुए | इसी तरह से राम और लक्ष्मण को अहिरावण से पाताललोक से छुड़ा कर आपने कर्मयोद्धा की छवि को विभूषित किया |

एक कुशल मार्केटियर

आधुनिक युग में एक कुशल मार्केटियर उसे माना जाता है जोकि अपने कस्टमर्स की समस्याओ को समझे और उसका निराकरण करे | इस मामले में हनुमान जी से बड़ा कोई मैनेजमेंट गुरु हो ही नहीं सकता | उन्होंने भगवान राम के धर्म स्थापना के उद्देश्य को समझा और उनकी शिक्षाओ का हर प्रचार प्रसार किया |
लंका में जंहा पर राछसों का साम्राज्य था वंहा भी उन्होंने विभीषण जैसा राम भक्त ढूढ़ निकाला जो कि आगे चलकर रावण का वध करने में सहयोगी बना | इसी तरह से उन्होंने विभीषण को राम से मिलाकर उसे जीवन के महत्व से अवगत कराया और तमाम सारे राछसों का वध करके धरती, को उनके आतंक से मुक्त किया | तत्पश्चात ऋषि, मुनि, गृहस्त और व्यपारीजन अपने दैनिक कर्म को करने का अनुकूल समय पा सके |
आइये हम आप भी हनुमान जी की शिक्षाओ को आत्मा सात करके उनके दिखाए हुए रास्ते पर आगे बढे | जिससे एक एक स्वस्थ और भयमुक्त समाज की स्थापना हो सके और सभी प्राणी धर्म की राह पर चलते हुए अपने जीवन को सफल बना सके|  


मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं कपिस्वरः | यति पूजितं महादेवः परिपूर्ण तदस्तु में |
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2 Comments

  1. बहुत ही उत्तम । वीर हनुमान की शक्ति स्वभाव और व्यवहार का सटीक विश्लेषण

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