क्या हिंडनबर्ग कांड अडानी या मोदी सरकार के लिए खतरे की घंटी है ? एक ज्योतिषीय विश्लेषण

क्या हिंडनबर्ग कांड अडानी या मोदी सरकार के लिए खतरे की घंटी है ? एक ज्योतिषीय विश्लेषण

 


 आप सभी को शिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं| आइये आज इस महापर्व पर हम आदि योगी श्री भोले शंकर को प्रणाम करके देश के एक बहुचर्चित उद्योग पति श्री गौतम अडानी से सम्बंधित मुद्दों का ज्योतिषीय विश्लेषण करेंगे|

जैसे की हम सभी जानते हैं कि श्री गौतम अडानी भारत के सबसे बड़े और बहुत कम समय के विश्व पटल पर उभरने वाले एक सफल व्यापारी हैं| उनको लेकर भारतीय जनमानस भी दो धड़ों में बंटा हुआ है| एक धड़ा उन्हें वर्तमान सत्ता से बहुत करीबी होकर फायदा उठाने का आरोप लगाता है वहीं दूसरा धड़ा श्री अडानी के ऊपर हिंडनबर्ग संस्था द्वारा लगाए गए आरोपों को भारत के ऊपर एक हमले के तरह मानता है| ज्योतिष के एक विद्यार्थी होने के नाते हम इन राजनैतिक आरोपों और प्रत्यारोपों पर चर्चा करते हुए सिर्फ ज्योतिषीय सूत्रों के हिसाब भविष्य की घटनाओं पर चर्चा करेंगे|

श्री गौतम अडानी का जन्म २४ जून १९६२ को प्रातः . १३ पर अहमदाबाद में हुआ बताया जाता है| अगर पंचांग पर दृष्टि डालें तो कृष्णपक्ष की सप्तमी तिथि, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, शनिवार दिन आयुष्मान योग विष्टि करण और मंगल की होरा| जातक पर शुभ तिथि गुरु का शुभ नक्षत्र शुभ योग का अच्छा प्रभाव रहेगा| साथ के साथ शनि का वार जातक को मेहनती मंगल की होरा शक्ति संपन्न रखेगा | किन्तु विष्टि करण होने से बीच बीच में कष्ट या विघ्न की भी सम्भावना बनी रहेगी|

 

श्री अडानी का जन्म वृषभ लग्न में हुआ जो की एक स्थिर लग्न है और अर्थ त्रिकोण की  राशि है जिसमे चन्द्रमा उच्च का होता है और शुक्र इसके राशीश होते है| २७ अंश का यह लग्न मंगल के मृगशिरा नक्षत्र और कन्या नवांश में स्थित है| लग्न में बुध ग्रह के स्थित होने से जातक सांसारिक चीजों को व्यापर के माध्यम से पाने की पूरी क्षमता रखता है| लग्नेश शुक्र कर्क तीसरे भाव में कर्क राशि में स्थित होने से जातक प्रचुर साहसी है| तृतीयेश चन्द्रमा गुरु के साथ दसम भाव में गजकेशरी योग बना रहा है| दसम भाव में कुम्भ राशि स्थित है| कुम्भ राशि काल पुरुष की लाभ भाव की राशि है और कर्म स्थान में स्थित होने की हर काम में लाभ की सम्भावना रहेगी|

नवमेश और योग कारक शनि नवम भाव में स्थित होने से भाग्य का साथ मिलता रहेगा| भाग्येश शनि की तीसरी दृष्टि लाभ भाव पर, सातवीं लग्नेश और तीसरे भाव पर और उच्च की दृष्टि ६ठे भाव होने से जातक अपने साहसिक कार्यों से लाभ अर्जित करेगा और शत्रु हन्ता रहेगा| शत्रु बहुत कोशिश करके भी उसका कुछ बिगाड़ नहीं पाएंगे| 

 

चतुर्थेश सूर्य के धन भाव में होने से शाशन या सत्ता प्रतिष्ठानों से भी सहयोग और धन लाभ संभव है| हालाँकि धन भाव पर शुभग्रह गुरु की दृष्टि होने से किसी अनैतिक श्रोत से धन प्राप्ति का योग नहीं रहेगा| प्रतियोगिता और ऋण के छठें भाव पर शनि और गुरु दोनों की दृष्टि उन्हें व्यापारिक जगत का अजेय योद्धा बनाती प्रतीत होती है| साथ में ऋण लेकर किये गए कार्य में ज्यादा सफल  होने का योग दिखाती है| 

 

व्यापार के सातवें भाव में वृश्चिक राशि स्थित है जो की अचानक कार्यों को करने या अप्रत्यासित लाभ की राशि मानी जाती है उस पर बुध ग्रह की अति शुभ है| 

द्वादशेश मंगल के द्वादश भाव में स्थित होने से जातक विदेशों में भी सफल रहेगा|   

हालाँकि लग्नेश शुक्र के साथ राहु और नवमेश/दशमेश शनि का केतु के साथ होना बीच बीच में अड़चने पैदा करेगा| फिर भी इनकी कुंडली में सकारात्मक बातें ज्यादा हैं|

अगर हम विंशोत्तरी दशा क्रम को देखें लग्नेश शुक्र की दशा १२-१२-२०१४ से शुरू हुई और १३-१२-२०३४ तक चलेगी| सप्तमेश और द्वादशेश मंगल की अन्तर्दशा १२-१२-२०२० से --२०२२ तक थी इस दौरान उनका व्यापार  विदेशों  में खूब फैला| --२०२२ से राहु की अन्तर्दशा शुरू हुई जो कि --२०२५ तक चलेगी| जैसा की हम राहु को एक अशुभ छाया ग्रह के रूप में जानते हैं तो उसका थोड़ा प्रभाव जरूर रहेगा| लेकिन कुंडली में मौजूद राजयोग बहुत ही मजबूत है अतः किसी भी तरीके के दीर्घकालिक वित्तीय नुकसान की सम्भावना नहीं है|

इस हिसाब से हम कह सकते है की वर्तमान का राहु जनित संकट एक अल्पकालिक काले साये की तरह है जो की धीरे धीरे अपने आप छंट जाएगी| हालाँकि तीसरे भाव में पाप ग्रह भी आर्थिक रूप से अच्छा फल देते हैं अतः इस विवाद से भी अंततोगत्वा उन्हें दीर्घकालिक में लाभ की सम्भावना बनेगी साथ में  उनके नाम को लेकर राजनीती चलती रहेगी|

जहां तक सवाल मोदी सरकार या वित्तीय संस्थाओ के ऊपर पड़ने वाले असर का है तो वह भी तात्कालिक है| भारत सरकार और वित्तीय संस्थाए सुदृढ़ स्थिति में हैं|


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