आपको अपना जन्मदिन कब मनाना चाहिए?

आपको अपना जन्मदिन कब मनाना चाहिए?


हमें अपना जन्मदिन कब मनाना चाहिए ? यह सुनने में बड़ा अजीब सा लग सकता है लेकिन इसके पीछे बहुत ही बड़ा वैज्ञानिक अध्यात्म जुड़ा हुआ है| हम लोग सामान्य तौर पर अंग्रेजी के कैलेंडर के हिसाब से अपना जन्मदिन मनाते हैं| जो कि भारतीय ज्योतिर्विज्ञान के हिसाब से सही नहीं है| हमारे प्राचीन ग्रंथो जैसे की सूर्य सिद्धांत इत्यादि में इस पर विस्तृत वर्णन उपलब्ध है | ऋषि नीलकंठ और केशव ने सदियों पहले इसके बारे में विस्तार से बताया है|

 जैसा की आप जानते हैं जीवन अपने आप मे आत्मा की एक यात्रा है| ज्योतिष में आत्मा का प्रतिनिधित्व सूर्य करता है| इस लिए एक साल के भविष्य फल कथन जानने के लिए वर्ष कुंडली बनायीं जाती है| जन्म कुंडली में सूर्य जिस राशि और अंश पर स्थित होता है वही दिन और समय वर्ष कुंडली का आधार होता है| अगले सालों में जब भी सूर्य उसी राशि और अंश पर गोचर में आता है वही दिन उस साल के लिए जन्मदिन होता है| सारी ज्योतिषीय गणना उसी समय को ध्यान में रख कर बनायीं जाती है| अंग्रेजी में इसे ही "सोलर रिटर्न" के नाम से जाना जाता है| आइये देखते हैं कि इसकी गणना कैसे की जाती है|

 सूर्य सिद्धांत के हिसाब से एक महायुग में ४३,२०,००० वर्ष या  १,५७,७९,१७,८२८ दिन होते हैं| इस हिसाब से एक साल में ३६५ दिन ६ घंटे १२ मिनट और ३६ सेकण्ड्स होते हैं|  अर्थात सूर्य इतने समय में ब्रह्माण् का एक चक्कर लगाता प्रतीत होता है और इतने ही समय में एक वर्ष बाद अपनी पुरानी स्थिति में आ जाता है| वर्ष दर वर्ष यही क्रम चलता रहता है| चूँकि भारतीय ज्योतिषीय गणनाये बहुत ही शुद्ध होती हैं अतः अंग्रेजी के सामान्य कैलेंडर से अलग हो जाती हैं| हालाँकि आधुनिक समय में खगोलीय प्रयोगों से यह पता चला है की सूर्य ब्रह्माण्ड के एक चक्कर ३६५ दिन, ६ घंटे और ९ मिनट में लगाता है|

चूँकि  साल में ५२ हप्ते होते हैं अतः हर साल १ दिन ६ घंटे और 9 सेकंड एक "ध्रुवांक" की तरह जन्मदिन में जोड़ने से हमें उस साल का वर्ष प्रवेश समय और दिन मिल जाता है| इसी समय को १ वार १५ घटी २२ पल और ५७ विपल में भी व्यक्त किया जाता है| वर्ष दर वर्ष की गणना पंचांग में आसानी से उपलब्ध हो जाती है| उदाहरण स्वरुप एक व्यक्ति की कुंडली लेते है जिसका जन्मदिन १ अक्टूबर १९७६ समय सुबह के ८ शुक्रवार बजे स्थान प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश में हुआ|

इसमें तुला लग्न ६ डिग्री १३ मिनट और ४० सेकंड का हुआ| सूर्य १४ डिग्री ३१ मिनट और ४६ सेकंड का हुआ| अगर इस व्यक्ति का वर्ष प्रवेश २०२२ का निकालना हो तो यह विधि अपनानी पड़ेगी |

पहला भाग - पूर्ण वर्ष की संख्या निकालना

वर्तमान वर्ष - जन्म वर्ष

२०२२ -१९७६ = ४६ वर्ष

दूसरे भाग में हम यह निकालेगे की सूर्य कब अपनी जन्म समय की स्थिति में आता है |  इसके लिए ४६वे वर्ष का ध्रुवांक देखना पड़ेगा|

                                                                               

४६वें वर्ष का ध्रुवांक (लाहिरी एफेमरी पृष्ठ संख्या ८९)            -  १ दिन       १९ घंटा         १.५ मिनट

 इसमें सप्ताह का दिन और जन्म समय जोड़े (शुक्रवार ८ बजे-    ६             ८                ०

                                                                                                   ७             १७             १.५

 इसमें  से ७ (सप्ताह में दिनों की संख्या घटाएं)                           ७             0                0

                                                                                                 0             17              1.5

(सप्ताह के दिन में रविवार के लिए १, सोमवार के लिए २, मंगलवार के लिए ३, बुधवार के लिए ४, गुरुवार के लिए ५, शुक्रवार के लिए ६ और शनिवार के लिए ७)| 

इस तरह से जातक का जन्मदिन शनिवार १ अक्टूबर २०२२ को सायं ५ बजकर १ मिनट पर माना जाता है| इसी समय को मानकर बनायीं गयी कुंडली से मुंथा, वार्षिक दशा और वार्षिक योग निकाले जाते हैं|

 इस समय पर सूर्य की स्थिति निकालें आपको वही स्थिति मिलेगी १४ डिग्री कन्या राशि मे।  

समस्त लोकाः सुखिनो भवन्तुः  

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