कितना सुन्दर
आज का दिन है न कर आंख मिचोली
बैर भाव सब
छोड़ के मोहन आवो खेले होली
जीवन में कितनी
सांसे हैं तुम जानो ना हम जाने
चाहे कितना
भी लड़ लें पर तुमको अपना हम माने
नफरत की गांठे
खोलो और कर लो हँसी ठिठोली
बैर भाव सब
छोड़ के मोहन आवो खेले होली
धन दौलत आते
जाते हैं समय न फिर वापस आता
छोटा बड़ा नहीं
है कोई जब वो दिल में बस जाता
मन की उलझन
तेरी सुलझा मैं बन गयी सहेली
बैर भाव सब
छोड़ के मोहन आवो खेले होली
ऋतू बंसन्त
में आये पतझड़ आम लगे बौराने
बागों में अब
कूके कोयल पपीहा गाये गाने
बिरहा की अब
आग लगी है प्यार से भर दो झोली
बैर भाव सब
छोड़ के मोहन आवो खेले होली
अबीर गुलाल
लिए पिचकारी सब मिलि डालें बारी बारी
गुझिया लड्डू
लेकर आए थोड़ा तो चख लो गिरधारी
प्रेम के रंग
में रंग डालेंगे हमें न समझो भोली
बैर भाव सब
छोड़ के मोहन आवो खेले होली
कितना सुन्दर
आज का दिन है न कर आंख मिचोली
बैर भाव सब
छोड़ के मोहन आवो खेले होली
Please do listen to below Classical Holi Song too classical Holi Song on Raag Khamaz
2 Comments
बहुत ही खूबसूरत👌👌
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत👌👌
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