क्या आप अपने गीता ज्ञान से कोरोना युद्ध में आज के अर्जुन की सहायता करेंगे ?

क्या आप अपने गीता ज्ञान से कोरोना युद्ध में आज के अर्जुन की सहायता करेंगे ?





प्रिय मित्रो,


यह हमारे पूर्व जन्मो का फल है की हमारा जन्म भारत की इस  पवित्र भूमि पर हुआ है।  भारत भूमि हजारो हजार सालो से तमाम अनगिनत साधु महात्माओ, तपस्वियों और ज्ञानियों और भक्तो की कर्मभूमि रही है।  यहीं पर विश्व को प्रकाशित करने वाले वेद, शाश्त्र, उपनिषद् और पुराणों की रचना हुई है जिन्होंने मानवता को एक नयी दिशा दी है।

इन्ही ग्रंथो में श्रीमद भागवत गीता का प्रमुख स्थान है।  गीता पर बहुत सी पुश्तके विश्व की प्रमुख भाषाओ में उपलब्ध हैं । हर किसी पाठक का इस ग्रन्थ पर अपना अपना अलग अलग अनुभव है। ध्यान देने वाली बात यह है की ज्ञान के इस सागर के रचईता स्वयं गुरु वासुदेव है। इस तरह से हम सभी पाठक जन गुरभाई है।

इतना सब होने के उपरांत भी इस सर्व कष्ट निवारण ग्रन्थ से बारे में जानकारियां आधी अधूरी हैं।  कुछ साल पहले सुनने में आया था कि रूस में इस ग्रन्थ पर यह कहते हुए प्रतिबन्ध लगा दिया गया कि यह हिंसा को बढ़ावा देता है। जोकि भारत सरकार के प्रयाश से खत्म हुआ | मानव जाति के कल्याण के लिए हम आप सभी महात्माओ से आग्रह करते हैं कि आप इन मिथ्या धारणाओं को दूर करने में सहयोग करें |

आज जबकि मानव जाति पर सदी का सबसे बड़ा संकट आया हुआ हैं।  मानवता त्राहि त्राहि कर रही हैं।  वह भी तब जबकि वायरस सिर्फ एक देश से निकला हैं।  जैसे कि हमने न्यूज़ चैनल में देखा कि हर प्रमुख देश की अपने एक बायोलॉजिकल लैब हैं जिसमे हजारो वायरस रखे हुए हैं।  सोचने की बात हैं जब पूरी दुनिया एक वायरस से नहीं निपट पा रही हैं तो अगर सचमुच में तमाम देशो में बायोलॉजिकल लड़ाई शुरू हो जाय तो क्या मानव जीवन सचमुच धरती से विलुप्त हो जायेगा | परिस्थितियों को देख कर ऐसा प्रतीत  होता हैं कि अज्ञानी और स्वार्थलोलुप मनुष्य कुछ भी कर सकता हैं।

अब प्रश्न उठता हैं कि क्या गीता मानव जाति को सचमुच इस विनाश के कगार से शांति और सुगम राश्ते पर लाने में सक्षम हैं ? अगर इसका उत्तर हा में हैं तो हमें क्या करना हैं ?

यह स्वयं वासुदेव कृष्णा का आश्वासन है कि यह ग्रन्थ मनुष्य को हर तरह कि विकट परिस्थिति से बहार ला सकता है। तो हम क्यों न इस पतित पावनि गंगा में स्नान कर पवित्र हॉवे ?

हम गीता पर एक छोटी सी प्रश्नोत्तरी शुरू कर रहे हैं।  आपसे अनुरोध हैं कि आप उस विषय पर हमारा मार्गदर्शन करें जिससे कि हम सभी के कल्याणार्थ उसे सरल भाषा में लोगो के बीच ला सके।

इसी कड़ी में आजका पहला प्रश्न हैं कि गीता जिसके लिए कही गयी हैं ? जरा सोचे कि गाय तो अपने दूध पीती नहीं तो यह दूध किसके लिए निकाला गया ? अर्जुन रुपी बछड़े को तो संतोष मिल गया था।  कृष्णा सर्वदा संतुष्ट हैं उन्हें स्वयं कुछ नहीं चाहिए।  तब उपनिषद् रूपी गायों को दुह कर गीता रूपी दूध किसके लिए निकाला गया ?

आपमें से बहुत से लोगो के मैसेज हमें प्राप्त हुए।  उनका सारांश कुछ इस तरह से है।

कृष्ण कहते है की गीता सिर्फ अर्जुन के लिए नहीं है।  गीता उन सभी सुधी लोगो के लिए है जिनकी बुद्धि अच्छी है।  जो सदाचार के नियंत्रण में है।  गीता का ज्ञान दो परस्पर विरोधी सेनाओ के बीच दिया गया।  एक तरफ धर्म न्याय, प्रेम और त्याग है दूसरी तरफ अन्याय, अधर्म, ईर्ष्या और लालच है।  इन दोनों के बीच खड़ा अकेला परेशान मनुष्य दुखी और हताश है।  हममे से बहुत से लोग ऐसी परिस्थिति में पद जाते है।  गीता ऐसी ही परिस्थिति से निकलने वाला भगवान का मंत्र है।  यह न समझें की यह सिर्फ अर्जुन के शोक निवारण के लिए है अपितु यह सारे मानव जाति के लिए है।  अतः इसका शुद्ध मन से अध्ययन करना चाहिए। 

Post a Comment

0 Comments